उदीराथां रतायते युञ्जाथामश्विना रथम |
अन्ति षद्भूतु वामवः ||
निमिषश्चिज्जवीयसा रथेना यातमश्विना |
अन्ति षद .. . ||
उप सत्र्णीतमत्रये हिमेन घर्ममश्विना |
अन्ति षद ... ||
कुह सथः कुह जग्मथुः कुह शयेनेव पेतथुः |
अन्ति षद... ||
यदद्य कर्हि कर्हि चिच्छुश्रूयातमिमं हवम |
अन्ति षद ... ||
अश्विना यामहूतमा नेदिष्ठं याम्याप्यम |
अन्ति षद ... ||
अवन्तमत्रये गर्हं कर्णुतं युवमश्विना |
अन्ति षद ... ||
वरेथे अग्निमातपो वदते वल्ग्वत्रये |
अनति षद ... ||
पर सप्तवध्रिराशसा धारामग्नेरशायत |
अन्ति षद... ||
इहा गतं वर्षण्वसू शर्णुतं म इमं हवम |
अन्ति षद .. . ||
किमिदं वां पुराणवज्जरतोरिव शस्यते |
अन्ति षद ... ||
समानं वां सजात्यं समानो बन्धुरश्विना |
अन्ति षद... ||
यो वां रजांस्यश्विना रथो वियाति रोदसी |
अन्ति षद . .. ||
आ नो गव्येभिरश्व्यैः सहस्रैरुप गछतम |
अन्ति षद .. . ||
मा नो गव्येभिरश्व्यैः सहस्रेभिरति खयतम |
अन्ति षद... ||
अरुणप्सुरुषा अभूदकर्ज्योतिरतावरी |
अन्ति षद ... ||
अश्विना सु विचाकशद वर्क्षं परशुमानिव |
अन्ति षद ... ||
पुरं न धर्ष्णवा रुज कर्ष्णया बाधितो विशा |
अन्ति षद ... ||
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अन्ति षद्भूतु वामवः ||
निमिषश्चिज्जवीयसा रथेना यातमश्विना |
अन्ति षद .. . ||
उप सत्र्णीतमत्रये हिमेन घर्ममश्विना |
अन्ति षद ... ||
कुह सथः कुह जग्मथुः कुह शयेनेव पेतथुः |
अन्ति षद... ||
यदद्य कर्हि कर्हि चिच्छुश्रूयातमिमं हवम |
अन्ति षद ... ||
अश्विना यामहूतमा नेदिष्ठं याम्याप्यम |
अन्ति षद ... ||
अवन्तमत्रये गर्हं कर्णुतं युवमश्विना |
अन्ति षद ... ||
वरेथे अग्निमातपो वदते वल्ग्वत्रये |
अनति षद ... ||
पर सप्तवध्रिराशसा धारामग्नेरशायत |
अन्ति षद... ||
इहा गतं वर्षण्वसू शर्णुतं म इमं हवम |
अन्ति षद .. . ||
किमिदं वां पुराणवज्जरतोरिव शस्यते |
अन्ति षद ... ||
समानं वां सजात्यं समानो बन्धुरश्विना |
अन्ति षद... ||
यो वां रजांस्यश्विना रथो वियाति रोदसी |
अन्ति षद . .. ||
आ नो गव्येभिरश्व्यैः सहस्रैरुप गछतम |
अन्ति षद .. . ||
मा नो गव्येभिरश्व्यैः सहस्रेभिरति खयतम |
अन्ति षद... ||
अरुणप्सुरुषा अभूदकर्ज्योतिरतावरी |
अन्ति षद ... ||
अश्विना सु विचाकशद वर्क्षं परशुमानिव |
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पुरं न धर्ष्णवा रुज कर्ष्णया बाधितो विशा |
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