Rig Veda

Thursday, 16 February 2012

Rig Veda Book 8 Hymn 103

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अदर्शि गातुवित्तमो यस्मिन वरतान्यादधुः | उपो षु जातमार्यस्य वर्धनमग्निं नक्षन्त नो गिरः || पर दैवोदासो अग्निर्देवानछा न मज्मना | अनु मा...

Rig Veda Book 8 Hymn 102

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तवमग्ने बर्हद वयो दधासि देव दाशुषे | कविर्ग्र्हपतिर्युवा || स न ईळानया सह देवानग्ने दुवस्युवा | चिकिद विभानवा वह || तवया ह सविद युजा वय...

Rig Veda Book 8 Hymn 101

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रधगित्था स मर्त्यः शशमे देवतातये | यो नूनं मित्रावरुणावभिष्टय आचक्रे हव्यदातये || वर्षिष्ठक्षत्रा उरुचक्षसा नरा राजाना दीर्घश्रुत्तमा | ...

Rig Veda Book 8 Hymn 100

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अयं त एमि तन्वा पुरस्ताद विश्वे देवा अभि मा यन्ति पश्चात | यदा मह्यं दीधरो भागमिन्द्रादिन मया कर्णवो वीर्याणि || दधामि ते मधुनो भक्षमग्रे...

Rig Veda Book 8 Hymn 99

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तवामिदा हयो नरो.अपीप्यन वज्रिन भूर्णयः | स इन्द्र सतोमवाहसामिह शरुध्युप सवसरमा गहि || मत्स्वा सुशिप्र हरिवस्तदीमहे तवे आ भूषन्ति वेधसः | ...

Rig Veda Book 8 Hymn 98

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इन्द्राय साम गायत विप्राय बर्हते बर्हत | धर्मक्र्ते विपश्चिते पनस्यवे || तवमिन्द्राभिभूरसि तवं सूर्यमरोचयः | विश्वकर्मा विश्वदेवो महानसि...

Rig Veda Book 8 Hymn 97

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या इन्द्र भुज आभरः सवर्वानसुरेभ्यः | सतोतारमिन मघवन्नस्य वर्धय ये च तवे वर्क्तबर्हिषः || यमिन्द्र दधिषे तवमश्वं गां भागमव्ययम | यजमाने स...
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